..

Whispers From My Heart

Sunday, October 17, 2010

पागल ..

दुनिया कहती पागल हु ,
अरे! मै कहाँ पागल हु?!
थोडा सा अंजना हु,
थोडा सा दीवाना हु,
प्यार का मारा हु,
दुख का हारा हु....


आवारा हु,
बंजारा हु....
सताया हु,
रुलाया हु....
दुनिया कहती पागल हु ,
अरे! मै कहाँ पागल हु?!


दिल के दर्द मैंने भी सहे है,
ज़ख्म दिल के अभी भी न भरे है,
दुख के कंकर चुनता आया हु,
दुनिया कहती पागल हु ,
अरे! मै कहाँ पागल हु?!